(Lesson Plan for B.Ed, BTC, B.El.Ed, D.El.Ed, D.Ed Trainee)

गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

इकाई योजना एवं वार्षिक योजना में अंतर

 वार्षिक योजना-

’’शिक्षण कार्य की योजना जो शिक्षक द्वारा अपनी दैनन्दिनी (डायरी) में सत्र पर्यन्त शिक्षण कार्य एवं अन्य करणीय कार्यों की जो रूपरेखा तैयार की जाती है। वह वार्षिक योजना कहलाती है।’’

शिक्षण की सफलता उसके नियोजन पर आधारित होती है। क्योेंकि शिक्षण सोद्देश्य क्रिया है इसलिए क्रिया की सफलता के लिए उसका पहले से ही नियोजन कर लेना चाहिए।
सम्पूर्ण वस्तु के शिक्षण की कैसे योजना बने इसका अर्थ है। हमें सबसे पहले वार्षिक योजना इसके बाद इकाई योजना तथा अन्त में दैनिक पाठ योजना बनानी चाहिये।
वार्षिक योजना केवल शिक्षण कार्य की ही नहीं बनायी जाती, मूल्यांकन की योजना भी साथ-साथ बनानी होती है। वार्षिक योजना बनाते समय सम्पूर्ण सत्र में जो उप विषय पढ़ाने है। जो इकाइयाँ अधिगम करवानी है। उन सभी का लेखा जोखा होता है।

’’सम्पूर्ण सत्र पर्यन्त शिक्षण कार्य एवं अन्य करणीय कार्यों की रूपरेखा को वार्षिक योजना कहते है।’’


इकाई योजना-

’’ इकाई शब्द को शिक्षा के क्षेत्र में लाने का श्रेय प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री हरबर्ट’’ को हैं।

।. एन.एल. वाॅसिंग के अनुसार – ’’इकाई अर्थ पूर्ण परस्पर संबंधित क्रियाओं की वह व्यापक शृंखला हैं। जो विकसित होकर बालकों के उद्देश्यों की पूर्ति करती है। जिसे बालक महत्त्वपूर्ण शैक्षिक अनुभव प्राप्त कर सके और अपने व्यवहारों से वांछित परिवर्तन ला सके।’’

।।. माॅरिसन के मतानुसार – ’’इकाई वातावरण संगठित विज्ञान, कला या आचरण का वह महत्त्वपूर्ण अंग है जिसे सीखने के फलस्वरूप व्यक्तिगत मंे सामंजस्य आ जाता है।’’


इकाई योजना के कारण –

1. इकाई योजना के प्रारंभ में कक्षा, विभाग, विषय, इकाई का नाम, कालांशों की संख्या, दिनांक की पूर्ति करना है।
2. इकाई योजना से सम्बन्धित प्राप्त उद्देश्यों एवं आपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तनों को लिख देना चाहिए।
3. इकाई से सम्बन्धित शिक्षण बिन्दुओं का विश्लेषण कर देना चाहिए।
4. अब छात्र एवं अध्यापक की शिक्षण क्रियाओं का निर्धारण करना चाहिए।
5. इसके बाद इकाई के अध्यापन का समय आवश्यक शिक्षण सामग्री का उल्लेख करना चाहिए।
6. बालकों में स्वाध्याय प्रवृत्ति के विकास हेतु दिये गये गृह कार्य का विवरण करना चाहिए।
7. उद्देश्यों प्राप्ति से व्यवहारगत परिवर्तन की जाँच हेतु मूल्यांकन विधि व जाँच पत्र का भी उल्लेख करना चाहिए।


इकाई योजना के प्रकार, महत्त्व व गुण –

इकाई योजना दो प्रकार की होती है- 1. पाठ्य वस्तु पर आधारित 2. अनुभव पर आधारित

1. पाठ्य-वस्तु पर आधारित योजना- ये तीन प्रकार की होती हैं –
(अ). प्रकरण पर आधारित – ये वे इकाई योजना है जो किसी प्रकरण या अध्याय पर आधारित होती है।
(ब). सिद्धान्त पर आधारित – ये किसी सूत्र-नियम या सिद्धान्त पर आधारित होती है।
(स). किसी मूल पहलू पर आधारित – बालकों को वातावरण तथा सांस्कृतिक व्यवहार व वास्तविक ज्ञान प्रदान करने हेतु वातावरण या संस्कृति के पहलू के आधार पर होता है।


2. अनुभव आधारित योजना – ये तीन प्रकार की होती है –

(अ). रुचि पर आधारित – इस प्रकार की योजना बालकों की रुचि पर आधारित होती हैं।
(ब). उद्देश्य पर आधारित – इस प्रकार की योजना का उद्देश्य बालकों को जो प्राप्त करना होता है वह होता है।
(स). आवश्यकताओं पर आधारित – ऐसी इकाई योजना व्यक्तिगत शैक्षिक आवश्यकता पर बनायी जाती है।


पाठ योजना के उद्देश्य ( Lesson Plan objectives)


पाठ योजना के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं-
1. कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी कराना।
2. निर्धारित पाठ्य वस्तु के सभी तत्वों का विवेचन करना।
3. प्रस्तुतीकरण के क्रम तथा पाठ्य वस्तु के रूप में निश्चितता की जानकारी कराना।
4. कक्षा शिक्षण की समय शिक्षक के विस्मृति की संभावना कम होना।
5. शिक्षण अधिगम, सहायक सामग्री के प्रयोग के स्थल,शिक्षण विधि तथा प्रविधियों का निर्धारण करना।


प्रभावी पाठ योजना की विशेषताएं (Features of an Effective Lesson Plan)

1. प्रभावी पाठ योजना एक कक्षा में प्रयोग में आने वाली क्रिया की प्रस्तावित रुपरेखा है।
2. कक्षा में पाठ योजना विधिवत लिखित रूप में होनी चाहिए।
3. पाठ योजना में शिक्षण के उद्देश्यों का विवरण स्पष्ट व व्यावहारिक होता हैै।
4. पाठ योजना में प्रयुक्त होने वाली शिक्षण सहायक सामग्री का उल्लेख करना चाहिए जैस-चार्ट, ग्राफ, रेखागणित, माॅडल, स्लाइड, मानचित्र,फिल्म स्ट्रिप,स्लाइड आदि।
5. आदर्श पाठ योजना विद्यार्थियों की पूर्व ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए।
6. स्तरानुकूल पाठ आधुनिक विषय वस्तु होती है जो शिक्षण बिंदु या संप्रत्ययों के रूप में लिखी जाती है।
7. छात्रों के क्रिया-कलापों व अधिगम क्रियाओं का अच्छा ज्ञान होता है।8. नवीन ज्ञान एवं पूर्वज्ञान का सम्बन्ध होता है।
9. शिक्षक को यह आभास बना रहता है कि उसका शिक्षण कहाँ तक सार्थक रहा है।
10. पाठ योजना में पाठ की अवधि, कक्षा के स्तर, विषयवस्तु प्रकरण आदि सामान्य सूचना का उल्लेख रहता है।
11. पाठ योजना में व्यक्तिगत विभिन्नता का ध्यान रखकर शिक्षण की व्यवस्था होती है।
12. पाठ को उचित सोपान में विभाजित कर देना चाहिए।
13. पाठ योजना में भाषा की सरलता स्पष्टता होनी चाहिए।
14. पाठ के लिए उपयुक्त शिक्षण विधि के प्रयोग की और संकेत किया जाना चाहिए।
15.विषय वस्तु का यथासंभव दूसरे विषय से समन्वय स्थापित होना चाहिए।
16. यथास्थान उदाहरणो का प्रयोग किया हुआ होना चाहिए।
17. पाठ योजना में सम्मिलित प्रश्नों में उपयुक्तता, सम्बन्धता और शृंखलाबद्धता होती है।
18. व्यक्तिगत विभिन्नताओ केआधार पर शिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
19. विकासात्मक तथा  विचारात्मक प्रश्नों का प्रयोग करना चाहिए।
20. पाठ की अवधि,कक्षा का स्तर,विषय वस्तु, प्रकरण आदि सामान्य सूचनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिए।
21. छात्रों के लिए श्याम/पाठ का सारांश भी सम्मिलित होता है। ताकि मुख्य शिक्षण के बिन्दु जाने जा सके।
22. गृहकार्य की व्यवस्था होनी चाहिए।
23. छात्रों के मूल्यांकन के लिए प्रश्नों, पुनरावृत्ति प्रश्नों और अभ्यासों के प्रश्नों का विवरण रहता हैं।




एक उत्तम पाठ योजना कैसे बनाएं

सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है पाठ योजना। एक उचित क्लासरूम योजना, शिक्षकों को व्यवस्थित रखेगी जिससे वे ज़्यादा पढ़ा सकेंगे फलस्वरूप बच्चों को निश्चित उद्देश्य तक पहुंचने में आसानी होगी।

टीचिंग उम्मीदवारों के लिए ये लेख बहुत आवश्यक है क्योंकि ये लेख सामान्य शिक्षण उद्देश्य, सीखने के उद्देश्य और इसे पूरा करने के तरीकों का रेखाचित्र खींचेगा।


एक उचित पाठ योजना तैयार करने में समय, लगन और बच्चों की क्षमताओं को लेकर आपकी समझ अहम् भूमिका निभाती है। जितना तैयार शिक्षक होगा उतना ही पाठ में आने वाली अनअपेक्षित बाधाओं को वो अच्छे से निर्देशित करेगा। नीचे कुछ चरण दिए गए हैं जिनसे आप एक उचित पाठ योजना बना सकते हैं।
प्रत्येक चरण पर प्रश्नों का एक सेट है जिससे आपको सीखने और सिखाने की गतिविधियों का पता चल सके।

उद्देश्यों को रेखांकित करें-

उद्देश्यों को रेखांकित करने से आप कक्षा में प्रवेश करने से पहले अपनी शिक्षण पद्धति पर व्यवस्थित ढंग से सोचते हैं। सबसे पहला चरण ये है कि आप क्या चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी सीखें ताकि पाठ के अंत में उसे कर करें। कक्षा में प्रवेश करने से पहले निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर जान लें-
1. पाठ का विषय क्या है?
2. आप क्या चाहते हैं कि विद्यार्थी क्या सीखें?
3. आप क्या चाहते हैं जो वे समझें?
4. इस निश्चित पाठ से आप क्या चाहते हैं कि वे अपने में धारण करें?
5. कौन सी रणनीतियों के तहत् आप शिक्षण करेंगे?
6. यदि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो किसे छोड़ा जा सकता है?

इन चरणों से आप कक्षा के समय का प्रबंधन कर सकेंगे और समय के अभाव के दबाव के बावजूद सीखने के उद्देश्यों के साथ न्याय कर सकेंगे।

आरंभ का विकास करें-

बच्चों में रूचि और विचारशीलता को जागृत करने के लिए अपने विषय का परिचय रचनात्मक ढंग से दें। इन प्रश्नों पर विचार करें:
1. ये आप कैसे जांचेंगे कि बच्चों को विषय के बारे में कुछ पता है या नहीं?
2. विषय को लेकर सामान्य विचार क्या हैं जिससे बच्चे इसे समझ सकें?
3. विषय का परिचय देने के लिए आप क्या करेंगे?
आप बच्चों को व्यस्त रखने के लिए कई तरीकों का प्रयोग कर सकते हैं (उदा. वास्तविक ज़िंदगी के उदाहरण, वीडियोज़ आदि)।

मूल बात का स्पष्टीकरण देना-

अधिक बच्चों का ध्यान केंद्रित करें और सीखने की विभिन्न शैलियों को अपनाएं। आप अपनी गतिविधियों और उदाहरणों को समझाने की जो योजना बनाएंगे, आकलन करें कि कितना समय प्रत्येक पर व्यय होगा। विस्तृत चर्चाओं और स्पष्टीकरण के लिए समय नियोजित करें लेकिन, दूसरी समस्या पर जाने के लिए तैयार रहें। साथ ही रणनीति पहचानें जिससे बच्चों को समझ आता हो।
1. आपके बच्चों के स्तर के आधार पर, आपको थोड़ा पीछे भी जाना पड़ सकता है। सोचें कि आपको कितना पीछे जाना होगा।
2. यदि आप बच्चों को सीधे ये बताते हैं कि वे क्या सीखने जा रहे हैं तो निश्चित ही ये आपके लिए उपयोगी होगा। यानि, उन्हें अपना उद्देश्य दीजिए। इससे वे कक्षा छोड़ते समय याद रखेंगे कि आज उन्होंने क्या सीखा?

बच्चे जो सीखें उसे प्रयोग में लाएं-

अब जब बच्चों ने जानकारी प्राप्त कर ली है, तो अब आपको एक ऐसी गतिविधी करानी है जिसमें उन्होंने जो सीखा है उसे प्रयोग कर सकें। हालांकि, पहली बार में संभव नहीं है इसलिए पहले उन्हें प्रशिक्षण की गाड़ी में बिठाएं। वीडियो क्लिप, वर्कशीट, चित्र या गतिविधियों के बारे में सोचें। विभिन्न क्षमता के बच्चों पर विभिन्न प्रकार की गतिविधियां निश्चित करें।

समीक्षा-

ये आप कैसे पता करेंगे कि बच्चे सीख रहे हैं? इसके लिए आपको उनकी सीख को जांचना होगा। उन प्रश्नों के बारे में सोचें जिससे आप उनकी समझ को जांच सकते हैं, उन्हें लिखें और उनकी संक्षिप्त व्याख्या कर लें ताकि आप विभिन्न तरीके से प्रश्न पूछने के लिए तैयार हो जाएं। यदि बच्चे नहीं समझ पा रहे तो जानकारी पर वापस जाएं।

निष्कर्ष और पूर्वावलोकन का विकास करें-

कक्षा में पढ़ाई गई सामग्री को देखें और पाठ के महत्वपूर्ण बिंदु का सार तैयार करें। आप बच्चो की मदद ले सकते हैं या आप सभी विद्यार्थियों से एक पेपर पर सीखा सबकुछ लिखने को कह सकते हैं। आप बच्चों की समझ को समझने के लिए उनके उत्तरों का सहारा ले सकते हैं फिर वो समझाएं जो बच्चों को समझ ना आया हो।
पाठ के सार के अलावा अगले पाठ के पूर्वावलोकन के साथ पाठ समाप्त करें। इस पूर्वावलोकन से बच्चों की रुचि में इजाफ़ा होगा और अलग-अलग विचारों से जुड़कर वृहद सोच के साथ जुड़ सकेंगे।



पाठ योजना के गुण दोष

गुण/महत्त्व –

1. प्रत्येक इकाई का निर्माण शिक्षण उद्देश्य, छात्रों की रुचियों, आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में रखकर किया जाता है। अतः प्रक्रिया बाल केन्द्रित एवं छात्रों को रुचिकर है।
2. इकाई योजना में छात्रोें को स्वयं सीखने को दिया जाता है जिससे स्वाध्याय की भावना पैदा होती है।
3. अधिगम भी सामाजिक परिप्रेक्ष्य में होता है। सामाजिक मूल्यांे के साथ विचारों की अभिव्यक्ति को प्रोेत्साहन मिलता है।
4. इकाई योजना द्वारा पाठ-योजना ठीक व क्रमगत बनती है।
5. यह शिक्षण प्रक्रिया में विषयवस्तु की क्रमबद्धता सुव्यवस्थित करती हैं।
6. इसके द्वारा सही शिक्षण विधियों की खोज की जाती है। तथा पाठ को प्रस्तुत किया जाता है।
7. इकाई पाठ योजना पद्धति के द्वारा अध्यापक सक्रिय रहता है। इसको बालक के साथ अध्ययन परिस्थितियाँ प्रस्तुत करनी होती है।
8. सम्पूर्ण पाठ के सक्षिप्तीकरण में इकाई योजना सहायक होती है।
9. इससे शिक्षक पाठ्य वस्तु को आधार मानकर सम्बद्ध अपेक्षित योग्यताओं का मूल्यांकन कर सकता है।
10. इकाई पाठ योजना द्वारा शक्ति समय और सहायक सामग्री का अपव्यय नहीं होता।
11. इसके द्वारा उद्देश्यनिष्ठ शिक्षण होता है। तथा बालक के व्यवहारगत परिवर्तन पर बल दिया जाता है।

दोष –

1. इकाई योजना बनाना प्रत्येक अध्यापक के लिए सुगम नहीं है।
2. इस योजना के अनुसार पढ़ाने से शिक्षण यंत्रवत् हो जाता हैं।
3. इस पद्धति से शिक्षण कार्य करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक की आवश्यकता होती है।
4. इकाई योजना में अधिगम सामग्री तथा अन्य उपकरणों के प्रयोग पर बल दिया जाता है, अतः महँगी योजना है। अधिक धन व्यय होता है।



पाठ योजना बनाते समय महत्वपूर्ण बिन्दु

  शिक्षण की कुशलता वह सफलता बहुत कुछ पाठ योजना के निर्माण पर निर्भर करती है अतः पाठ योजना बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-


1. विद्यार्थियों की शारीरिक व मानसिक योग्यता व क्षमताओं को जान लेना चाहिए।
2. पाठ योजना निर्माण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन की जाने हेतु स्थान होना चाहिए।
3. पांच योजना बनाने से पहले विषय का गहन ज्ञान होना चाहिए।
4. पाठ योजना बनाते समय कक्षा-स्तर का ज्ञान अवश्य होना चाहिए।
5. एक अच्छी पाठ योजना बनाने के लिए शिक्षक को अपने विषय की गहन जानकारी की साथ अन्य सभी विषयों का सामान्य ज्ञान होना चाहिए।
6. प्रकरण को एक या अधिक सोपानों में विभाजित करना चाहिए।
7. सोपानो हेतु शिक्षण विधि या नीति का चयन करना चाहिए।
8. पाठ योजना में उद्देश्यों को सावधानीपूर्वक स्पष्ट रुप से लिखना चाहिए।
9. पांच योजना का निर्माण करते समय शिक्षक को समय का पूरा पूरा ध्यान रखना चाहिए।
10. शिक्षण सिद्धांतो,शिक्षण सूत्रों तथा शिक्षा विधियों का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
11. पाठ के लिए आवश्यक सामग्री का निर्धारण तथा इसके प्रयोग को सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
12. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की जानकारी शिक्षको होनी चाहिए।





    पाठ योजना प्रारूप (Lesson Plan Format)



         Lesson plan (पाठ योजना) निर्माण हेतु शिक्षक के समक्ष निश्चित लक्ष्य रहता है तथा इसी आधार पर शिक्षक किसी कक्षा में पाठों को प्रस्तुत कर सकता है पाजी योजना की रुपरेखा हर परपस प्रणाली के आधार पर निम्न प्रकार से तैयार की जा सकती है।

    1. सामान्य सूचना-
    इसमें पढ़ाई जाने वाले पाठ का शीर्षक, कक्षा, कलांश,अवधि,विषय, प्रकरण, दिनांक,आदी को शामिल किया जाना चाहिए। जिस विद्यालय में शिक्षण किया जाना है उसका नाम भी अवश्य लिखना चाहिए।

    2. सामान्य उद्देश्य-
    लेखन प्रथम बिंदु की आधार पर सामान्य उद्देश्य को निर्धारित किया जाता है भाषा रसायन विज्ञान गणित हिंदी सामाजिक अध्ययन विषयों के सामान्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं।

    3. विशिष्ट उद्देश्य-
    पाठ विशेष को पढ़ाने में जिस उद्देश्य की प्राप्ति होती है वह लिखना चाहिए। विशिष्ट उद्देश्य सामान्य उद्देश्यों पर आधारित होते हैं परंतु उद्देश्य प्रकरण से संबंधित होता है।

    4. शिक्षण सहायक सामग्री-
    पाठ पढ़ाने में किस प्रकार की अधिगम सामग्री की आवश्यकता पड़ती है उसका उल्लेख करना चाहिए जैसे-श्वेत वर्तिका,श्यामपट,चार्ट, मॉडल इत्यादि।

    5. पूर्वज्ञान-
    इसमें बालक को पांच से संबंधित जो ज्ञान पहले से ही है जिसकी आधार पर पाठ को प्रस्तावित करना है पूर्व ज्ञान के आधार पर पाठ का प्रारंभ होता है।

    6. प्रस्तावना-
    पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षक प्रश्नों या चार्ट के द्वारा पाठ को प्रस्तावित करता है प्रस्तावना का अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है।

    7. प्रस्तुतिकरण-
    Lesson plan के इस भाग में छात्रों के सम्मुख नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है इसके लिए प्रस्तुत दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है एक भाग में अध्ययन स्थितियॉ एवं दूसरे भाग में अध्ययन बिंदु लिखते हैं ।शिक्षक विभिन्न शिक्षण पद्धति,विभिन्न प्रविधियों दृश्य श्रव्य विधियों का प्रयोग करता है। विषय वस्तु को एक या दो  सोपानो में प्रस्तुत किया जा सकता है।

    8. बोध प्रश्न-
    शिक्षक पढाये गए पाठ में से प्रश्न पूछता है जो बोध प्रश्न कहलाते हैं।

    9. श्याम पट कार्य-
    शिक्षक द्वारा पढाये गए  प्रयोग आदि के आधार पर निष्कर्ष निकलवाता है अध्यापक को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि बालक स्वयं ही निष्कर्ष निकाले जब छात्र श्याम पट सारांश की नकल करते हैं तथा शिक्षक कक्षा निरीक्षण करता है।

    10. मूल्यांकन-
    अध्यापक द्वारा पढ़ाये गए पाठ में से ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि बालको ने कहा तक नवीन ज्ञान अर्जित किया है।

    11. गृह कार्य-
    पाठ के अंत में बालक को पाठ से संबंधित कुछ कार्य घर के लिए देना चाहिए इसकी जांच अगले दिन की जानी चाहिए इससे छात्र अर्जित ज्ञान का प्रयोग करना सीखते हैं।



    पाठ योजना सं.-

    दिनांक  -                           विषय                      चक्र -
    कक्षा -                                     प्रकरण -                    अवधि -

    सामान्य उद्देश्य -
    विशिष्ट उद्देश्य      
       ज्ञानात्मक            -                      
       बोधात्मक          -
       प्रयोगात्मक         -
       कौशलात्मक     -  

    सहायक सामग्री -
    पूर्व ज्ञान -
    प्रस्तावना -

    क्रम संख्या
    छात्र अध्यापक क्रिया
    छात्र  क्रिया
    1
    प्र.
    उ.
    2
    प्र.
    उ.
    3
    प्र.
    उ.
    4
    प्र.
    उ.
    उद्देश्य कथन -

    प्रस्तुतीकरण -

    शिक्षण बिंदु
    छात्र अध्यापक क्रिया
    छात्र  क्रिया
    विधियाँ / युक्तियाँ
    श्यामपट कार्य 

    प्र.
    प्र.
    कथन/स्पष्टीकरण-
    उ.
    उ.
    छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे



    प्र.
    प्र.
    कथन/स्पष्टीकरण-

    उ.
    उ.
    छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे



    प्र.
    प्र.
    कथन/स्पष्टीकरण

    उ.
    उ.
    छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे



    प्र.
    प्र.
    कथन/स्पष्टीकरण

    उ.
    उ.
    छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे


    बोध प्रश्न -      प्र.
                   प्र.
                   प्र.
                   प्र.


    श्यामपट सारांश -

    कक्षा कार्य एवं  निरीक्षण  -

    पुनरावृत्ति प्रश्न -

    गृहकार्य -                                                  



    Lesson Plan
    Date:                                                                                                    Class:
    Subject:                                                                                               Period:
    Topic:                                                                                                   Duration:

    General Aims:

    Specific Objectives:

          Knowledge:

          
          Understanding:
         
          Application:


    Material Aids:

    Classroom Management:

    Previous Knowledge:

    Introductory Question:

    S.N. Pupil Teacher's Activity Student's Activity
    1
    2
    3
    4

    Statement of the Aim:

    Presentation

    Teaching Points Pupil Teacher's Activity Student's Activity Method/Devices B.B work
    1 Q.
    Q.
    Statement/Explanation-
    2 Q.
    Q.
    Statement/Explanation-
    3 Q.
    Q.
    Statement/Explanation-
    4 Q.
    Q.
    Statement/Explanation-

    Comprehension Questions:

    Blackboard Summary:

    Writing and Supervision-

    Recapitulation-

    Home Assignment-













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