2. इकाई योजना में छात्रोें को स्वयं सीखने को दिया जाता है जिससे स्वाध्याय की भावना पैदा होती है।
3. अधिगम भी सामाजिक परिप्रेक्ष्य में होता है। सामाजिक मूल्यांे के साथ विचारों की अभिव्यक्ति को प्रोेत्साहन मिलता है।
4. इकाई योजना द्वारा पाठ-योजना ठीक व क्रमगत बनती है।
5. यह शिक्षण प्रक्रिया में विषयवस्तु की क्रमबद्धता सुव्यवस्थित करती हैं।
6. इसके द्वारा सही शिक्षण विधियों की खोज की जाती है। तथा पाठ को प्रस्तुत किया जाता है।
7. इकाई पाठ योजना पद्धति के द्वारा अध्यापक सक्रिय रहता है। इसको बालक के साथ अध्ययन परिस्थितियाँ प्रस्तुत करनी होती है।
8. सम्पूर्ण पाठ के सक्षिप्तीकरण में इकाई योजना सहायक होती है।
9. इससे शिक्षक पाठ्य वस्तु को आधार मानकर सम्बद्ध अपेक्षित योग्यताओं का मूल्यांकन कर सकता है।
10. इकाई पाठ योजना द्वारा शक्ति समय और सहायक सामग्री का अपव्यय नहीं होता।
11. इसके द्वारा उद्देश्यनिष्ठ शिक्षण होता है। तथा बालक के व्यवहारगत परिवर्तन पर बल दिया जाता है।
दोष –
2. इस योजना के अनुसार पढ़ाने से शिक्षण यंत्रवत् हो जाता हैं।
3. इस पद्धति से शिक्षण कार्य करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक की आवश्यकता होती है।
4. इकाई योजना में अधिगम सामग्री तथा अन्य उपकरणों के प्रयोग पर बल दिया जाता है, अतः महँगी योजना है। अधिक धन व्यय होता है।
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